फूल को खिलने दो रंगीन हो या रंग हीन, गंधमय हो या गंधहीन, घास पर खिले या शाख पर, जल फूल को खिलने दो रंगीन हो या रंग हीन, गंधमय हो या गंधहीन, घास पर खिले या...
जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है। जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है।
कितने फूल कितने फूल
कभी मलमल के साथ तो कभी काटो के साथ रहना सीखो। कभी मलमल के साथ तो कभी काटो के साथ रहना सीखो।
उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है। उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है।
कविता है तो कवि है ,कवि है तो कविता जीवन की लय समझाती है जीवन सरिता। मधुरिम मधुरिम कविता है तो कवि है ,कवि है तो कविता जीवन की लय समझाती है जीवन सरिता। म...